Ram Mandir: रामलला की मूर्ति का काला रंग इस वजह से है, इसके पीछे की कहानी जानिए।

Ram Mandir: रामलला की मूर्ति का काला रंग इस वजह से है, इसके पीछे की कहानी जानिए।

22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है और इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। प्राण प्रतिष्ठा से पहले भगवान राम की मूर्ति की तस्वीर सामने आई है, जिसमें वह बाल स्वरूप में श्यामल पत्थर से तैयार दिख रहे हैं। इससे लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि रामलला की मूर्ति काली या श्यामल क्यों हैं? इस आधार पर, यह सवाल उठता है कि मूर्ति का रंग किस प्रकार का है और इसके पीछे की कहानी क्या है।

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Ram mandir murti
शुभ मुहूर्त में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है और इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। प्राण प्रतिष्ठा से पहले भगवान राम की मूर्ति की तस्वीर सामने आई है, जिसमें वह बाल स्वरूप में श्यामल पत्थर से तैयार दिख रहे हैं। इससे लोगों के मन में सवाल उठा है कि रामलला की मूर्ति काली या श्यामल क्यों हैं? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिसका उत्तर धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में विशेष महत्व है।
 इस पत्थर की गहरी काली रंग की बजाय उसमें श्यामल रंग का उपयोग किया गया है, जिससे रामलला की मूर्ति का अद्वितीय और पवित्र आभास होता है। इस पत्थर का उपयोग भगवान कृष्ण की मूर्तियों में भी किया जाता है, जिससे यहां भी एक अद्वितीय सांस्कृतिक संबंध होता है। इस प्रकार, काले पत्थर का चयन धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के साथ जुड़ा होता है, जिससे रामलला की मूर्ति का रंग काला है।
रामलला की मूर्ति में श्यामल पत्थर का चयन एक विशेष आद्यता और स्थायिता को दर्शाता है। इस पत्थर का उपयोग उसकी दूरी और समय की दृढ़ता को बनाए रखने के लिए किया गया है, ताकि भगवान राम की मूर्ति सदैव निर्मल और समृद्धि में बनी रहे। इस उपयोग से उनके देवी-देवता स्वरूप में स्थान रखने का संकेत है और उनके आभासी समृद्धि की ओर प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है।
इसके अलावा, वाल्मीकि रामायण में भगवान राम के दिव्य स्वरूप का विस्तृत वर्णन श्यामल वर्ण में हुआ है, जिससे रामलला की मूर्ति का रंग भी श्यामल है। यह आध्यात्मिक दृष्टि से रामलला के अद्वितीयता और आदिशक्ति को प्रतिष्ठापित करता है और भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप के प्रति श्रद्धा में बढ़ोतरी का संदेश देता है।
भगवान श्रीराम की मूर्ति श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय द्वारा बताई गई है कि वह पांच वर्ष के बालक के स्वरूप में है। इस मूर्ति की ऊचाई 51 इंच है और इसका निर्माण काले पत्थर से हुआ है। रामलला की मूर्ति में भगवान के विभिन्न अवतारों का अद्वितीय रूप महसूस होता है।

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